Publisher's Synopsis
संक्षेप में हिंदू धर्म किसी एक व्यक्ति द्वारा चलाया हुआ नहीं है। यह तो प्रकृति का धर्म है और उसी के शाश्वत सिद्धांतों पर आधारित है। यह शाश्वत्व ही तो सनातन है, और जो सनातन है, वही सत्य है। जो सत्य है, वही धर्म है। अत हिंदू वह है, जो सनातन सत्य पर आस्था रखता है तथा उसी सत्य पर चलता रहता है। यह सत्य तो केवल एक ही है, जो कल, आज अैर सदा-सदा एक सा ही रहता है। उसको भिन्न-भिन्न लोग भिन्न-भिन्न नाम से पुकारते हैं, जैसे ईश्वर, अल्लाह, खुदा, गॉड, ब्रह्मा, शिव, शक्ति, अग्नि, मातरिश्वा, नेचर, प्रकृति इत्यादि। वास्तव में ये सब उसी एक सत्य का ही नाम हैं। यह सनातन सत्य ही विश्व का सार तत्व है, जो विश्वव्यापी एकता द्योतक या सूचक है। इस समस्त विश्व में अनेता केवल प्रतीत सी ही होती है। वास्तव में इसी सार-तत्व की व्यापकता के कारण, हिंदू इस अनेता में उसी ईश्वर की एकता का अनुभव करता है।