Publisher's Synopsis
गणपत 'स्वरुप' पाठक का कवि मन गति काव्य से प्रेरित है. उसमें चन्द नहीं हैं, कोई गीत भी नहीं है, लेकिन एक तरह की लय है जो सभी कविताओं में सुनी और महसूस की जा सकती है. 'छाँव बरगद की' जीवन के विभिन्न संघर्षों के रेखाचित्र खींचते हुए प्रकृति के बहुल रंगों को समाये हुए है, जो मानव की जिजीविषा को प्रवाहमान रखते हैं.